भारत में निवेश के कई साधन मौजूद हैं लेकिन सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय विकल्पों में से एक है Fixed Deposit (FD)। इसे हिंदी में सावधि जमा भी कहा जाता है। बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को FD की सुविधा देते हैं, जहां आप अपनी राशि एक तय समय के लिए जमा करते हैं और बदले में साधारण बचत खाते से ज्यादा ब्याज पाते हैं।
FD का मतलब यह है कि एक बार आपने पैसे जमा कर दिए तो उसे मैच्योरिटी से पहले निकालना आसान नहीं होता। इसी कारण इसे सुरक्षित निवेश माना जाता है।
FD Interest Rate और FD Maturity
FD interest rate यानी ब्याज दर बैंक या वित्तीय संस्था तय करती है। आमतौर पर जितनी लंबी अवधि होगी, ब्याज दर उतनी ही बेहतर मिलती है। हालांकि, कभी-कभी आर्थिक हालात को देखते हुए बैंक लंबी अवधि के लिए कम ब्याज भी ऑफर कर सकते हैं।
FD की maturity अवधि बहुत लचीली होती है। आप चाहे तो 7 दिन के लिए भी FD कर सकते हैं और अधिकतम 10 साल तक भी। जब FD मैच्योर होती है तो आपको मूलधन के साथ ब्याज भी वापस मिलता है।
Simple FD और Cumulative FD
FD दो तरह की हो सकती है।
- Simple FD में ब्याज हर तीन महीने में आपके सेविंग अकाउंट में आ जाता है।
- Cumulative FD में ब्याज आपके मूलधन के साथ जुड़ता रहता है और मैच्योरिटी पर एक साथ मिलता है। इसे अक्सर compound interest FD भी कहा जाता है।
FD Premature Withdrawal
आमतौर पर FD का पैसा मैच्योरिटी से पहले नहीं निकाला जा सकता। लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो आप FD premature withdrawal कर सकते हैं। इसमें बैंक आपको उस अवधि की दर से ब्याज देगा जितने समय तक आपने पैसा रखा। कई बार इसके लिए पेनल्टी भी लगाई जाती है।
FD Loan सुविधा
FD का एक बड़ा फायदा यह है कि आपको इसके खिलाफ लोन भी मिल सकता है। ज्यादातर बैंक 80 से 90 प्रतिशत तक का loan against FD देते हैं। ब्याज दर FD पर मिलने वाली दर से सिर्फ 1-2 प्रतिशत ज्यादा होती है। इससे आपको इमरजेंसी में पैसों की जरूरत पड़ने पर FD तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।
FD Tax और TDS
भारत में FD tax के नियम साफ हैं। अगर किसी वित्तीय वर्ष में आपके FD से मिलने वाला ब्याज ₹10,000 से ज्यादा हो जाता है तो बैंक उस पर TDS (Tax Deducted at Source) काट लेता है। अभी TDS की दर 10% है।
अगर आपकी कुल आय टैक्स स्लैब में नहीं आती तो आप बैंक को Form 15G या 15H जमा करके TDS से बच सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि अंत में FD ब्याज पर वही टैक्स लगता है जो आपकी आय के हिसाब से लागू होता है।
FD और Central Bank Policy
FD interest rate अक्सर देश की आर्थिक स्थिति और Central Bank policy पर निर्भर करती है। अगर महंगाई बढ़ रही हो और रिज़र्व बैंक अपनी रेपो रेट बढ़ा दे तो बैंकों को भी FD पर ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। वहीं जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें घटती हैं तो FD पर मिलने वाला ब्याज भी कम हो जाता है।
FD Safety और DICGC गारंटी
भारत में FD को सुरक्षित निवेश माना जाता है। बैंक की FD पर DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) की गारंटी होती है। फिलहाल एक बैंक में एक ग्राहक के लिए ₹5 लाख तक की राशि बीमित होती है। यानी अगर किसी बैंक को नुकसान भी हो जाए, तो ₹5 लाख तक की राशि सुरक्षित रहेगी।
FD Tax Saving Option
FD सिर्फ बचत और ब्याज कमाने का जरिया नहीं है। कई बैंक Tax saving FD भी ऑफर करते हैं, जिनमें आप निवेश करके Income Tax Act की धारा 80C के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं। इनकी लॉक-इन अवधि 5 साल होती है।
FD की सुविधाएँ
आजकल बैंक FD को और सुविधाजनक बनाने के लिए Flexi FD और Auto Renewal जैसे विकल्प देते हैं। Flexi FD में जरूरत पड़ने पर आप पैसा निकाल सकते हैं और बाकी राशि नई FD में बदल जाती है। वहीं Auto Renewal में FD मैच्योर होने पर खुद-ब-खुद अगले टर्म के लिए रिन्यू हो जाती है।
नतीजा
अगर आप एक सुरक्षित और स्थिर निवेश विकल्प चाहते हैं तो Fixed Deposit (FD) आपके लिए सही विकल्प हो सकता है। यह न सिर्फ बचत को सुरक्षित रखता है बल्कि तय ब्याज भी देता है। साथ ही FD loan, FD tax saving और FD premature withdrawal जैसी सुविधाएँ इसे और उपयोगी बनाती हैं।
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